भारत वन्दना
भारत माँ के चरणों में हम शीष झुकाकर बढ़े चलें,
नव भारत के नव निर्मिति में योगदान हम दिये चलें ||१||
हम कर्म करें संकल्प धरें भारत विधि के हम पाल्य बनें,
हम राष्ट्र धर्म का पालन करके राष्ट्र विकास के अंग बनें।
निजलोभों से हम दूर ही रहकर केवल राष्ट्र के लुब्ध बनें,
वेद-मर्म, गुरुग्रन्थ, कुरान के बाइबिल के स्वाध्यायी बनें||२||
भारत के गौरव-वैभव-जल-हिमतुङ्ग अरण्य चमकते रहें,
संस्कार- स्वभाषा-संस्कृति उन्नायक, गर्वक हम हुये चलें।
नव भारत के निर्माण में ये जीवन का प्रतिपल युक्त रहे,
प्रतिपग में भारत उन्नति-शिव-यश-दीप्ति को सम्प्राप्त करे ||३||
महापुरुषों गुरुओं वीरों का हम कृषकों का सम्मान करें,
मातृ-पितृ सब जाति धर्म का श्रेष्ठजनों का मान करें।
कर्तव्यमार्ग में बढ़ करके वृद्धि हो निज अधिकारों की,
समरसता के पथ में चलकर रक्षा हो विधि भावों की ||४||
शिक्षक, डॉक्टर, सैनिक हों अधिकारी हों अभियन्ता हों,
न्यायाधीश, वकील हों हम या व्यापारी जननेता हों।
भावी काल में हम मिलकर कर्तव्य पथिक बन जायेंगे,
राष्ट्रीय यज्ञ में होता बनकर स्वर्णिम यज्ञ रचायेंगे ||५॥
note-यह वन्दना सर्वाधिकार सुरक्षित है-
रचनाकार
डॉ. हेमन्त कुमार जोशी
Mo. 9410779784
निर्देश-उपर्युक्त भारतवन्दना(समूहगान) को यूट्यूब पर सुनने के लिए यहां क्लिक करें-