प्रार्थना
नमो भगवती माँ सरस्वती,
यनू ज्ञान कू भंडार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ जऊं,
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ सरस्वती……….॥1॥
कर सकूं हम मनुज सेवा,
बुद्धि दे विस्तार दे।
जाति धर्म से ऐंच हो हम,
माँ यनु व्यवहार दे।
अज्ञानता का कांडा काटी,
ज्ञान की फुलारी दे।
पढ़ी लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं,
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती………..॥2॥
जिकुड़ा माया, कठोर काया,
मन मा स्वच्छ विचार दे।
क्षमा दया मन मा, बड़ो का,
आदर सत्कार दे।
हे हंस वाहिनी सरस्वती,
भव सिंधु पार उतार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं,
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ सरस्वती………..॥3॥
दुर्व्यसनों का दैत्य माता,
खैंचणा चौदिशु बिटि ।
यनी दे बुद्धि, ताकत हमू तैं
आवा न जू रिंगी रिटी।
हे कमल आसनी , वीणा वादिनी
प्रेम कू संसार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं,
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ सरस्वती…….॥4॥
प्रार्थनाकार-(अज्ञात)
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note- उपर्युक्त प्रार्थना में ‘मन मा स्वच्छ विचार दे’ पंक्ति में कहीं कहीं पद भेद होने के कारण ‘मन मा शुच्च विचार दे’ भी प्राप्त होता है। अर्थदृष्टि से दोनों ही सही हैं दोनों का अर्थ शुद्धता एवं पवित्रता से है।